नागरिकता (Citizenship) –भाग II
नागरिकता वह विधिक स्थिति है जिसमें कोई व्यक्ति किसी राष्ट्र का वैध सदस्य होता है और उसे उस राष्ट्र के संविधान एवं कानूनों द्वारा अधिकार और कर्तव्यों की प्राप्ति होती है।
भारत में नागरिकता को संविधान के भाग-2 (अनुच्छेद 5 से 11) और भारतीय नागरिकता अधिनियम के तहत नियंत्रित किया जाता है।
मुख्य विशेषताएँ
- भारत में एकल नागरिकता प्रणाली लागू है।
- नागरिकता केवल केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है।
- नागरिकता व्यक्ति को राजनीतिक अधिकार प्रदान करती है जैसे – मतदान करना, चुनाव लड़ना आदि।
- यह राष्ट्रीय पहचान का प्रमाण है।
- नागरिकों को कुछ विशेष मौलिक अधिकार भी प्राप्त होते हैं जो विदेशी नागरिकों को नहीं मिलते।
नागरिकता से संबंधित अनुच्छेद (अनु. 5–11)
अनुच्छेद
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विषय
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अनु. 5
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संविधान लागू होने के समय नागरिकता
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अनु. 6
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पाकिस्तान से भारत आए व्यक्तियों की नागरिकता
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अनु. 7
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पाकिस्तान गए व्यक्तियों की नागरिकता
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अनु. 8
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विदेश में रह रहे भारतीय मूल के लोगों की नागरिकता
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अनु. 9
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विदेशी नागरिकता लेने पर भारतीय नागरिकता समाप्त
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अनु. 10
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नागरिकता की निरंतरता
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अनु. 11
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संसद को नागरिकता संबंधी विधि बनाने का अधिकार
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अनुच्छेद 5: संविधान के प्रारंभ में नागरिकता
26 जनवरी 1950 को भारत का नागरिक वह था –
- प्रत्येक व्यक्ति जिसका जन्म भारत के राज्यक्षेत्र में है; और
- जो भारत के राज्यक्षेत्र में पैदा हुआ हो; या
- जिसका माता-पिता/दादा-दादी में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में पैदा हुआ हो; या
- संविधान के लागू होने से पहले कम से कम पाँच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर पर निवास किया हो, वह भारत का नागरिक होगा।
अनुच्छेद 6: पाकिस्तान से भारत में प्रवास करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
पाकिस्तान से भारत आने वाले लोगों के बारे में नागरिकता का प्रावधान:
- वह या उसके माता-पिता/दादा-दादी में से कोई के पूर्वज भारत में पैदा हुआ था (भारत सरकार अधिनियम 1935 के अनुसार); और
- वह व्यक्ति, यदि ऐसा व्यक्ति जो 19 जुलाई 1948 से पहले भारत आया, यदि उसके माता-पिता/दादा-दादी भारत के नागरिक हैं तो उसे स्वतः भारत की नागरिकता मिल जाएगी।
- जो व्यक्ति 19 जुलाई 1948 के बाद भारत आया तो भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए उसे परमिट प्राप्त करने के बाद कम से कम 06 महीने भारत में निवास करना आवश्यक होगा।
अनुच्छेद 7: पाकिस्तान में कुछ प्रवासियों के नागरिकता के अधिकार
- अनुच्छेद 5 और 6 के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो 1 मार्च, 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान के उस क्षेत्र में प्रवास कर गया, उसे भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा।
- यदि कोई व्यक्ति 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान गया और 19 जुलाई 1948 के पहले वापस भारत लौट आया, तो उसे नागरिकता स्वतः प्राप्त होगी।
- यदि वह व्यक्ति 19 जुलाई 1948 के बाद पाकिस्तान से भारत आया हो तो परमिट नियम के तहत कम से कम 06 महीने भारत में निवास करने के बाद भारत की नागरिकता मिलेगी।
अनुच्छेद 8: भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
भारत के बाहर रहने वाला कोई व्यक्ति, जिसे या उसके माता-पिता/दादा-दादी को भारत में जन्म लेने के कारण भारतीय मूल का माना जाता है, वह व्यक्ति भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर –
- उसने भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास (Embassy/Consulate) में पंजीकरण (Registration) कराया हो,
- और यह पंजीकरण भारत सरकार के निर्देश अनुसार हुआ हो।
- ऐसे व्यक्ति को प्रवासी भारतीय (Overseas Indians) के लिए ये संविधानत: मान्य, होने के प्रमाण मिलते हैं।
अनुच्छेद 9: स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता ग्रहण करने वाले व्यक्ति नागरिक नहीं होंगे
- जो व्यक्ति स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता ले लेता है, वह भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा, चाहे वह अनुच्छेद 5, 6 या 8 के अंतर्गत क्यों न आता हो।
अनुच्छेद 10: नागरिकता के अधिकारों की निरंतरता
- जिसे संविधान के भाग 2 (अनुच्छेद 5 से 9) के अंतर्गत नागरिक माना गया है,
- वह व्यक्ति तब तक भारतीय नागरिक बना रहेगा, जब तक कि संसद विधि द्वारा उसकी नागरिकता को समाप्त न कर दे।
अनुच्छेद 11: संसद कानून द्वारा नागरिकता के अधिकारों को विनियमित करेगी
संसद को यह अधिकार होगा कि वह विधि द्वारा यह नियम बना सके कि नागरिकता की प्राप्ति और समाप्ति तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों का विनियमन कैसे किया जाएगा।
इस अनुच्छेद के आधार पर ही संसद ने भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया, जिसमें नागरिकता प्राप्त करने, खोने और त्यागने के विस्तृत प्रावधान हैं।
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955
इस अधिनियम के अंतर्गत नागरिकता की प्राप्ति, त्याग, समाप्ति और वंचन से संबंधित नियम निर्धारित हैं।
नागरिकता प्राप्त करने के 5 विधिक तरीके
- जन्म द्वारा (By Birth)
- 26 जनवरी 1950 से 1 जुलाई 1987 तक भारत में जन्मे सभी व्यक्ति नागरिक माने गए।
- 1 जुलाई 1987 से 3 दिसंबर 2004 तक जन्म लेने वाले व्यक्ति को नागरिकता तभी मिलेगी जब माता या पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हो।
- 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्म लेने वाले के लिए, एक अभिभावक भारतीय नागरिक और दूसरा अवैध प्रवासी न हो।
- वंश द्वारा (By Descent)
- भारत के बाहर जन्मे व्यक्ति को नागरिकता तभी मिलेगी जब –
- 10 दिसंबर 1992 से पहले: पिता भारतीय नागरिक हो।
- 10 दिसंबर 1992 के बाद: माता या पिता में से कोई एक नागरिक हो।
- साथ ही दूतावास में पंजीकरण आवश्यक है।
- पंजीकरण द्वारा (By Registration)
- भारतीय मूल के व्यक्ति या भारत में विवाहित विदेशी नागरिक कुछ शर्तों पर नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
- शर्त: 7 वर्ष का निवास या विवाह को कम से कम 7 वर्ष हो चुके हों।
- प्राकृतिककरण द्वारा (By Naturalisation)
- केंद्र सरकार किसी विदेशी को नागरिकता प्रदान कर सकती है यदि:
- पिछले 14 वर्षों में कम से कम 11 वर्ष भारत में निवास किया हो,
- और आवेदन से पहले 12 माह भारत में रह रहा हो।
- साथ ही पूर्व नागरिकता को त्यागने की शपथ देता हो।
- क्षेत्रीय समावेशन द्वारा (By Incorporation of Territory)
- जब कोई क्षेत्र भारत में मिलाया जाता है, जैसे पांडिचेरी (1962), तब वहाँ के निवासी भारत के नागरिक बन जाते हैं।
नागरिकता समाप्त होने के 3 आधार
- त्याग (Renunciation)
- कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से अपनी नागरिकता छोड़ सकता है।
- स्वतः समाप्ति (Termination)
- यदि कोई भारतीय नागरिक दूसरे देश की नागरिकता ले लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।
- युद्धकाल में यह प्रावधान लागू नहीं होता।
- वंचन (Deprivation)
- केंद्र सरकार नागरिकता समाप्त कर सकती है यदि –
- नागरिकता धोखे से प्राप्त की गई हो।
- संविधान का अपमान किया हो।
- शत्रु देश से सहयोग किया हो।
- 5 वर्षों के भीतर 2 वर्ष की सजा हो चुकी हो।
- लगातार 7 वर्षों तक भारत से बाहर रहा हो।
CAA, 2019 – नागरिकता संशोधन अधिनियम
- लागू: 31 दिसंबर 2014 तक भारत में प्रवेश कर चुके
अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के
हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई समुदायों को
नागरिकता देने का प्रावधान किया गया।
मुख्य बिंदु:
- इन समूहों के लिए भारत में निवास की न्यूनतम अवधि 11 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दी गई।
- ये लोग अब अवैध प्रवासी नहीं माने जाएंगे।
- यह कानून मुस्लिमों पर लागू नहीं होता।
- यह कानून इनर लाइन परमिट और छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होता।
NRC – राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर
- NRC का उद्देश्य था – भारत में रह रहे अवैध प्रवासियों की पहचान करना।
- सबसे पहले असम में लागू किया गया।
- यह व्यवस्था 2003 के संशोधन के तहत नागरिकता अधिनियम में जोड़ी गई।
भारत की प्रवासी नागरिकता (Overseas Citizenship of India)
भारत की प्रवासी नागरिकता (OCI) स्थायी निवास का एक रूप है जो भारतीय मूल के लोगों और उनके जीवनसाथियों के लिए उपलब्ध है। यह उन्हें भारत में अनिश्चितकाल तक रहने और काम करने की अनुमति प्रदान करता है। हालांकि, OCI को 'दोहरी नागरिकता' के रूप में गलत नहीं समझना चाहिए।
लाभ: OCI स्थिति व्यक्तियों को कुछ विशेषाधिकार प्रदान करती है जैसे कि बिना वीज़ा के भारत में कई बार प्रवेश करने की अनुमति, भारत में संपत्ति रखने की क्षमता, और कुछ क्षेत्रों में काम करने का अधिकार।
हालांकि, OCI धारक भारत में मतदान करने, सार्वजनिक पद धारण करने, या कृषि अथवा बागान संबंधी संपत्तियाँ अधिग्रहित करने के लिए पात्र नहीं हैं। इसका उद्देश्य भारतीय प्रवासी समुदाय और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देना है।
प्रवासी नागरिकता का त्याग:
कोई भी पूर्ण आयु और क्षमता वाला OCI व्यक्ति भारत की अपनी प्रवासी नागरिकता को त्यागने की घोषणा करता है। हालांकि, उस व्यक्ति के प्रत्येक नाबालिग बच्चे जो OCI के रूप में पंजीकृत हैं, वे इसके परिणामस्वरूप भारत के प्रवासी नागरिक नहीं रहेंगे।
OCI के रूप में पंजीकरण का रद्द होना:
केंद्र सरकार, आदेश द्वारा, प्रदान किए गए पंजीकरण को रद्द कर सकती है यदि पंजीकरण धोखे के माध्यम से प्राप्त किया गया हो, व्यक्ति ने भारत के संविधान के प्रति असंतोष प्रकट किया हो, या उस किसी भी युद्ध के दौरान जिसमें भारत संलग्न हो, शत्रु के साथ संलग्न रहा हो, आदि।
एनआरआई(NRI):
एनआरआई वे भारतीय मूल के व्यक्ति हैं जो भारत के बाहर रोजगार, व्यापार या अन्य उद्देश्यों से निवास करते हैं, लेकिन भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हैं, जिनमें अक्सर परिवार, संपत्ति या निवेश शामिल होते हैं।
पीआईओ(PIO):
पीआईओ वह व्यक्ति होता है जो भारतीय नागरिक था या जिसके पूर्वज भारतीय नागरिक थे और जो अब किसी अन्य देश की नागरिकता/राष्ट्रीयता रखता है, अर्थात उसके पास विदेशी पासपोर्ट होता है।
नागरिकता और मौलिक अधिकार
कुछ मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही मिलते हैं:
अनुच्छेद
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अधिकार
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15
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भेदभाव से संरक्षण
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16
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समान अवसर
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19
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स्वतंत्रता के अधिकार (वाणी, आंदोलन, संघ आदि)
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29-30
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सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार
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अन्य मौलिक अधिकार जैसे अनुच्छेद 14 (समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) – सभी व्यक्तियों के लिए लागू होते हैं, चाहे वे नागरिक हों या न हों।