भारत में नदी प्रणाली (River System in India)
सिंधु नदी तंत्र
सिंधु नदी तंत्र भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख नदी तंत्र है। 
सिंधु नदी
- सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के पास तिब्बत के बोखर चू क्षेत्र में एक ग्लेशियर से होता है
- सिंधु नदी दमचोक के पास भारत में प्रवेश करती है।
- यह भारत में सिर्फ जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख से होकर बहती है
- यह नदी चिल्लास के पास पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
- सिंधु नदी कराकोरम और लद्दाख पर्वतमाला के बीच बहती है
- इसकी प्रमुख बायीं तटवर्ती सहायक नदियों में जास्कर नदी, सुरू नदी, झेलम नदी, चिनाब नदी, रावी नदी, ब्यास नदी, सतलुज नदी शामिल हैं।
- इसकी प्रमुख दाहिनी तटवर्ती सहायक नदियों में श्योक नदी, गिलगित नदी, हुंजा नदी, स्वात नदी, कुन्नार नदी, कुर्रम नदी, गोमल नदी और काबुल नदी शामिल है
- सिंधु नदी कराची के पास विशाल सिंधु नदी डेल्टा के माध्यम से अरब सागर में गिरती है।
श्योक नदी
- श्योक नदी कराकोरम रेंज में रिमो ग्लेशियर से निकलती है
- इसका नाम लद्दाखी शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है 'मृत्यु की नदी'।
- यह उत्तरी लद्दाख से होकर सिन्धु नदी के समानांतर बहती है।
- इसके बाद यह पाकिस्तान प्रशासित गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में प्रवेश करती है
- इसकी लंबाई लगभग 550 किमी है।
- इसकी मुख्य सहायक नदी नुबरा नदी है।
- यह स्कार्दू (पाकिस्तान) में सिंधु नदी से मिल जाती है।
सतलज नदी
- इसका प्राचीन नाम शतुर्दि है
- इसका उद्गम तिब्बत में राकसताल झील से होता है
- शिपकिला दर्रे से होकर यह भारत में प्रवेश करती है
- भारत में यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब में बहती है
- इसकी लम्बाई 2459 किमी है
- यह भारत - पाकिस्तान के बीच सीमा का निर्माण करती है
- सतलज नदी सिंधु की सबसे दक्षिणी सहायक नदी है।
- यह भारत में सिंधु की सबसे लंबी सहायक नदी है।
- यह सिंधु की एकमात्र सहायक नदी है जो तिब्बत से निकलती है।
- इसकी सहायक नदियाँ चिनाब, ब्यास, बासपा, स्पीती और स्वां हैं
- प्रमुख परियोजनाएँ
- लुहरी स्टेज-I जलविद्युत परियोजना - हिमाचल प्रदेश
- भाखड़ा नांगल बांध - एशिया का सबसे ऊँचा बांध
- गोबिन्द सागर झील - हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में इंदिरा गांधी नहर
चिनाब नदी
- यह दो नदियों चंद्र एवं भागा के संगम से बनती है।
- चंद्रा और भागा हिमाचल प्रदेश की लाहुल और स्पीति घाटी में बारालाचा-ला दर्रे के क्रमशः दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम मुखों से निकलती हैं।
- चंद्रा लगभग 125 किलोमीटर की कुल लंबाई पार करने के बाद तांडी में भागा में मिलती है।
- इसके बाद संयुक्त धारा को चिनाब या चंद्र भागा के रूप में जाना जाता है
- यह हिमाचल प्रदेश में लगभग 90 किमी तक बहती है
- इसके बाद यह जम्मू और कश्मीर राज्य में जम्मू प्रांत के डोडा जिले के पडर क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले पांगी घाटी को पार करती है।
- भंडालकोट में यह अपनी सबसे बड़ी सहायक नदी मरुसुदर से मिलती है।
- जम्मू और कश्मीर से यह पाकिस्तान के सियालकोट जिले में प्रवेश करती है।
- सहायक नदियाँ
- दाएं किनारे पर झेलम, बिचलेरी, चैनी, तलसुएन और अंस
- बाएं किनारे पर रावी, नीरू नाला, याबू नाला, मंडियल और पैंथल खड्ड।
- तवी और मनावर तवी नदी पाकिस्तान में चिनाब से मिलती हैं।
- पाकिस्तान में यह सतलज नदी में मिल जाती है।
- महत्त्वपूर्ण परियोजनाएँ -
- चिनाब नदी पर भारतीय रेलवे ने विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाया है
- यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल संपर्क परियोजना का हिस्सा है
- रतले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट
- सलाल बाँध
- दुलहस्ती हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट
- पाकल दुल बाँध
झेलम नदी
- यह नदी भारत और पाकिस्तान से होकर बहती है ।
- यह पंजाब की पांच नदियों में सबसे बड़ी और सबसे पश्चिमी नदी है
- इसका उद्गम वेरीनाग झरना(जम्मू और कश्मीर) से होता है
- यह श्रीनगर और वुलर झील से होकर बहती है।
- इसके बाद यह पाकिस्तान में प्रवेश करती है
- यह पाकिस्तान में त्रिम्मु नामक स्थान पर चिनाब नदी में मिल जाती है।
- इसकी कुल लंबाई लगभग 725 किलोमीटर है।
- यह 170 किमी तक भारत-पाकिस्तान सीमा बनाती है
- सहायक नदियाँ -
- किशनगंगा (नीलम) नदी
- कुन्हार नदी
- अरापथ नदी
- लिद्दर नदी
- दूधगंगा नदी
- झेलम नदी पर प्रमुख परियोजनाएं –
- तुलबुल परियोजना
- उरी परियोजना
रावी नदी
- इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश में रोहतांग दर्रे के पास कुल्लू पहाड़ियों में होता है
- यह नदी पीर पंजाल और धौलाधार पर्वतमाला के बीच के क्षेत्र को जल प्रदान करती है ।
- यह माधोपुर के पास पंजाब में प्रवेश करती है
- इसके बाद यह पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
- यह पाकिस्तान में रंगपुर के पास यह चिनाब नदी में मिल जाती है
- सहायक नदियाँ –
- बुधिल
- साहो
- सिउल
- चिरचिंड नाला
- उझ नदी
- रंजीत सागर बांध
- शाहपुरकंडी बांध परियोजना
ब्यास नदी
- इसका उद्गम रोहतांग दर्रे के पास से होता है
- यह धौलाधार श्रेणी को पार करती हुई दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है
- पंजाब में हरिके नामक स्थान पर सतलुज नदी से मिलती है।
- यह नदी पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र(हिमाचल प्रदेश और पंजाब) में स्थित है।
- प्रमुख परियोजना - पौंग बांध
गंगा नदी प्रणाली

1. उद्गम एवं प्रारंभिक प्रवाह
- मूल स्रोत: गंगा की मुख्य धारा भागीरथी है, जो उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर (गौमुख) से (3,892 मीटर ऊँचाई पर) निकलती है।
- प्रमुख स्रोत धाराएँ:
- भागीरथी (गौमुख से)
- अलकनंदा (सतोपंथ एवं भागीरथ कुंड ग्लेशियरों से)
- धौलीगंगा (वसुंधरा ताल से)
- पिंडर
- मंदाकिनी
- भिलंगना
- गंगा का निर्माण: देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी के संगम के बाद ही नदी को गंगा कहा जाता है।
- मैदान में प्रवेश: गंगा हरिद्वार में भारत-गंगा के मैदानों में प्रवेश करती है।
2. प्रवाह पथ
गंगा लगभग 2,525 किमी बहते हुए पाँच राज्यों से होकर गुजरती है:
- उत्तराखंड (देवप्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार)
- उत्तर प्रदेश (कन्नौज, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर)
- बिहार (पटना, भागलपुर)
- झारखंड (साहेबगंज के पास संक्षिप्त भाग)
- पश्चिम बंगाल (फरक्का, बहरामपुर)
3. गंगा नदी की सहायक नदियाँ
अलकनंदा नदी
- गंगा नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक।
- उत्तराखंड में सतोपंथ और भागीरथ ग्लेशियरों के संगम से निकलती है।
- देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलती है जिसके बाद इसे गंगा नदी कहा जाता है।
- इसकी मुख्य सहायक नदियाँ हैं:
- मंदाकिनी,
- नंदाकिनी और
- पिंडार आदि।
- बद्रीनाथ, तप्त कुंड इसके तट पर स्थित हैं।
- सतोपंथ झील त्रिकोणीय है, नाम त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु, शिव – के नाम पर।
भागीरथी नदी
- गंगा की दो प्रमुख स्रोत धाराओं में से एक।
- देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है, जहाँ से इसे गंगा कहते हैं।
- गंगोत्री ग्लेशियर (उत्तरकाशी, गौमुख, चौखम्बा शिखर) से निकलती है।
- ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र हिमाच्छादित है।
- ग्रेनाइट और क्रिस्टलीय चट्टानों को काटते हुए घाटियाँ बनाती है।
धौलीगंगा नदी
- वसुंधरा ताल से निकलती है (उत्तराखंड की बड़ी हिमनदी झील)।
- ऋषिगंगा से रैनी में मिलती है।
- विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में विलीन होती है।
- मंदाकिनी से मिलकर देवप्रयाग की ओर बढ़ती है।
- तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना निर्माणाधीन है।
ऋषिगंगा नदी
- नंदादेवी पर्वत पर उत्तरी और दक्षिणी ग्लेशियरों से निकलती है।
- नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती है।
- रैनी गाँव के पास धौलीगंगा से मिलती है।
रामगंगा नदी
- उत्तराखंड के चमोली जिले में दूधातोली पहाड़ी से निकलती है।
- भूमिगत जलस्रोतों से पोषित।
- जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से होकर बहती है।
- कालागढ़ में इस पर बाँध है।
- कन्नौज के पास गंगा में मिलती है।
गोमती नदी
- उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के माधोटांडा (गोमत ताल) से निकलती है।
- गाजीपुर में गंगा से मिलती है।
- मार्कंडेय महादेव मंदिर संगम पर स्थित।
- सई नदी इसकी सहायक है।
- लखनऊ, जौनपुर आदि इसके किनारे बसे हैं।
घाघरा नदी
- मापचाचुंगो ग्लेशियरों से निकलती है।
- तिब्बती पठार से बहती है (करनाली/कौरियाल नाम)।
- नेपाल से होते हुए ब्रह्मघाट पर शारदा नदी से मिलती है।
- छपरा (बिहार) में गंगा से मिलती है।
- प्रमुख सहायक नदियाँ: राप्ती, शारदा, सरयू, छोटी गंडक
शारदा नदी
- मिलाम ग्लेशियर (नेपाल) से निकलती है (गौरीगंगा)।
- कालापानी से निकलने के कारण काली नदी भी कहलाती है।
- मैदान में आने के बाद "शारदा" और घाघरा में मिलती है।
सरयू नदी
- उत्तराखंड के बागेश्वर ज़िले में नंदा कोट पर्वत के दक्षिण से निकलती है।
- शारदा की बायीं सहायक नदी।
- इसका उल्लेख वेदों और रामायण में है।
राप्ती नदी
- पश्चिमी धौलागिरी हिमालय व नेपाल के महाभारत रेंज से निकलती है।
- भूमिगत जल स्रोतों से पोषित।
- गोरखपुर का शोक कहा जाता है (बाढ़ प्रवृत्ति)।
गंडक नदी
- काली और त्रिशुली नदियों के संगम से बनती है (नेपाल)।
- भारत में इसे नारायणी कहते हैं।
- पटना के सामने सोनपुर में गंगा से मिलती है।
- मध्य-निचले भाग में V-आकार की घाटियाँ और कटाव।
कोसी नदी
- सप्तकोशी (7 सहायक नदियाँ)।
- नेपाल और भारत से होकर बहती है।
- कटिहार ज़िले के कुरसेला में गंगा से मिलती है।
- माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा जलग्रहण क्षेत्र में शामिल।
- भारी सिल्ट के कारण "बिहार का शोक" उपनाम।
सोन नदी
- मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकलती है।
- कैमूर पहाड़ियों के समानांतर बहती है।
- पटना के ठीक ऊपर गंगा से मिलती है।
- दायीं सहायक नदियाँ:
- गोपत
- रिहंद
- कनहर
- उत्तरी कोयल
- बायीं सहायक नदियाँ:
रिहंद नदी
- छत्तीसगढ़ के मैनपाट पठार के मतिरंगा पहाड़ियों से निकलती है।
- रिहंद बांध और गोविंद बल्लभ पंत सागर पर निर्मित।
उत्तरी कोयल नदी
- रांची पठार से निकलती है।
- पलामू प्रमंडल में प्रवेश करती है।
- बेतला राष्ट्रीय उद्यान के उत्तरी भाग से होकर बहती है।
पंच प्रयाग (गंगा नदी):
संगम स्थल
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नदी प्रणाली
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देवप्रयाग
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भागीरथी + अलकनंदा
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रुद्रप्रयाग
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मंदाकिनी + अलकनंदा
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नंदप्रयाग
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नंदाकिनी + अलकनंदा
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कर्णप्रयाग
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पिंडार + अलकनंदा
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विष्णुप्रयाग
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धौलीगंगा + अलकनंदा
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4. डेल्टा का निर्माण एवं समापन
- फरक्का बैराज (पश्चिम बंगाल): यहाँ गंगा का प्रवाह नियंत्रित होता है और पानी का एक हिस्सा हुगली नदी की ओर मोड़ा जाता है।
- दो शाखाएँ: फरक्का के बाद गंगा दो शाखाओं में बंट जाती है:
- दाहिनी शाखा: भागीरथी-हुगली (कोलकाता से होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है)।
- बायीं शाखा: पद्मा (बांग्लादेश में प्रवेश करती है)।
- अंतिम संगम: बांग्लादेश में पद्मा, ब्रह्मपुत्र (जमुना) और मेघना नदियाँ आपस में मिलती हैं।
- समुद्र में गिरना: यह संयुक्त धारा मेघना के नाम से बंगाल की खाड़ी में विशाल सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती हुई गिरती है।
- जलग्रहण क्षेत्र: लगभग 8,61,404 वर्ग किमी (भारत का 26.4%)।
5. प्रमुख सहायक नदियाँ (संक्षेप में)
- दायीं ओर से: यमुना, रामगंगा, सोन (इनकी सहायक: रिहंद, कनहर आदि)।
- बायीं ओर से: गोमती, घाघरा (इनकी सहायक: शारदा, सरयू, राप्ती), गंडक, कोसी, दामोदर।
- गंगा नदी के किनारे स्थित प्रमुख शहर:
- उत्तराखंड: श्रीनगर, ऋषिकेश, हरिद्वार, रूड़की
- उत्तर प्रदेश: बिजनौर, नरौरा, कन्नौज, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, मिर्जापुर
- बिहार: पटना, भागलपुर
- पश्चिम बंगाल: बेहरामपुर, सेरामपुर, हावड़ा, कोलकाता
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली:
परिचय
ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली भारत-तिब्बत-भूटान-बांग्लादेश क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी प्रणाली है, जो दक्षिण-पश्चिम तिब्बत के ऊँचे पठारी इलाके से निकलती है और उत्तर-पूर्व भारत में प्रवेश कर बांग्लादेश होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम
- स्रोत: चेमायुंगदुंग ग्लेशियर (तिब्बत का दक्षिण-पश्चिमी भाग)
- यह क्षेत्र सिंधु और सतलुज नदियों के उद्गम के नजदीक स्थित है।
- नदी का तिब्बती भाग "यारलुंग त्सांगपो" या "त्सांगपो" कहलाता है, जिसका अर्थ है – "शुद्ध करने वाली नदी"।
- त्सांगपो तिब्बत में धीरे-धीरे प्रवाहित होती है, करीब 640 किमी तक चौड़े और नौगम्य मार्ग के रूप में बहती है।
प्रवाह मार्ग
- तिब्बत में बहते हुए यारलुंग त्सांगपो हिमालय की गहरी घाटियों से होकर गुजरती है।
- अरुणाचल प्रदेश में यह दिहांग कहलाती है।
- सादिया के पास, इसमें लोहित और दिबांग नदियाँ मिलती हैं, जिसके बाद इसे ब्रह्मपुत्र कहा जाता है।
- असम में यह पश्चिम की ओर बहती है और विशाल जलधारा बनाती है।
- बांग्लादेश में यह जमुना के नाम से बहती है और गंगा के साथ मिलकर सुंदरबन डेल्टा बनाती है।
- माजुली द्वीप (दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप) और उमनंदा द्वीप (सबसे छोटा) इसी नदी में स्थित हैं।
मुख्य सहायक नदियाँ
बाएं किनारे:
- ल्हासा नदी
- न्यांग नदी
- परलुंग जांग्बो
- लोहित नदी
- धनश्री नदी
- कोलोंग नदी
दाहिने किनारे:
- कामेंग नदी
- मानस नदी
- बेकी नदी
- राइदक नदी
- जलढाका नदी
- तीस्ता नदी
- सुबनसिरी नदी
- सुबनसिरी नदी- अरुणाचल के निचले हिस्से से बहती है। इसे “सोने की नदी” कहा जाता है। तेज बहाव के लिए जानी जाती है।
- कामेंग नदी- तवांग क्षेत्र से निकलकर पश्चिम कामेंग और असम के सोनितपुर से गुजरती है। यह पखुई अभयारण्य और काजीरंगा के पास बहती है।
- मानस नदी - भूटान में उत्पन्न होती है और जोगीघोपा (असम) में ब्रह्मपुत्र में मिलती है। मानस राष्ट्रीय उद्यान (भारत) और रॉयल मानस पार्क (भूटान) इसके किनारे हैं।
- संकोष नदी - उत्तरी भूटान से निकलती है, हिमाच्छादित क्षेत्रों और V-आकार की घाटियों से होकर बहती है।
- तीस्ता नदी - उद्गम: त्सो ल्हामो झील (उत्तर सिक्किम)। रंगेत नदी इसकी सहायक है और यह त्रिवेणी नामक स्थान पर मिलती है।
- दिबांग नदी - तिब्बत सीमा के पास हिमालय की बर्फ से ढकी पहाड़ियों से निकलती है। निचली दिबांग घाटी (अरुणाचल) से होकर बहती है।
- कोपिली नदी- मेघालय और असम में बहती है। यह ब्रह्मपुत्र की दक्षिणी तट की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसमें दुर्लभ पौधा कैरिसा कोपिली मिलता है।
ब्रह्मपुत्र नदी के नाम विभिन्न क्षेत्रों में
क्षेत्र
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नाम
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तिब्बत
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त्सांगपो
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चीन
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यारलुंग जांग्बो, जिआंगिन
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अरुणाचल/असम
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सियांग या दिहांग, फिर ब्रह्मपुत्र
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बांग्लादेश
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जमुना → पद्मा (गंगा से मिलकर) → मेघना
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भारत में बहाव वाले राज्य
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- मेघालय
- नागालैंड
- पश्चिम बंगाल
- सिक्किम
ब्रह्मपुत्र नदी के प्रमुख नगर
- डिब्रूगढ़
- पासीघाट
- नीमती
- तेजपुर
- गुवाहाटी (सबसे बड़ा शहरी केंद्र)
जलविद्युत परियोजनाएँ
राज्य
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परियोजनाएँ
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अरुणाचल प्रदेश
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तवांग, सुबनसिरी, रंगानदी, पाकी, पपुमपाप, धिनक्रोंग, अपर लोहित, डामवे, कामेंग
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सिक्किम
|
रंगीत, तीस्ता परियोजना
|
असम
|
कोपिली जलविद्युत परियोजना
|
मेघालय
|
न्यू उमट्रू जलविद्युत परियोजना
|
नागालैंड
|
दोयांग जलविद्युत परियोजना
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मणिपुर
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लोकटक, टिपाइमुख जलविद्युत परियोजना
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मिज़ोरम
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तुइबाई, तुइरियल, ढलेस्वरी परियोजनाएँ
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प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली
भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र की नदियाँ उन जलधाराओं को सम्मिलित करती हैं, जो प्रायद्वीपीय पठार से निकलती हैं और विभिन्न दिशाओं में बहकर अंततः बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में समाहित हो जाती हैं।
प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली की जानकारी
- यह नदियाँ हिमालयी नदियों की तुलना में कहीं अधिक पुरानी हैं और विकसित जल निकासी प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- ये नदियाँ अपने परिपक्व चरण में हैं — चौड़ी, उथली घाटियाँ और समतल तलहटी इनकी विशेषता है।
- पश्चिमी घाट जल विभाजक के रूप में कार्य करता है: अधिकांश नदियाँ इसके पूर्व की ओर बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं, जबकि कुछ धाराएँ पश्चिम में अरब सागर की ओर जाती हैं।
- इन नदियों की प्रवाह गति और कण वहन क्षमता कम होती है, विशेषकर मुहानों पर बड़े डेल्टा के कारण।
- इनके मार्ग आमतौर पर निश्चित होते हैं, और इनमें विसर्पण (meandering) या गोखुर झीलें कम पाई जाती हैं।
- इनका प्रवाह मौसमी होता है — वर्षा ऋतु के अतिरिक्त अधिकांश समय जल प्रवाह सीमित होता है।
- मुख्य उदाहरण:
- पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ: गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी
- पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ: नर्मदा, ताप्ती
प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली का विकास
निम्नलिखित तीन भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ इस प्रणाली के विकास के लिए उत्तरदायी मानी जाती हैं:
- पश्चिमी तट का अवसादन:
तृतीयक काल में प्रायद्वीपीय क्षेत्र का पश्चिमी भाग समुद्र में डूब गया, जिससे जलनिकासी का संतुलन बिगड़ा।
- हिमालय का निर्माण:
जब उत्तर में हिमालय का उत्थान हुआ, तो इसके साथ ही प्रायद्वीपीय खंड का उत्तरी भाग नीचे की ओर धँस गया, जिससे गर्त (rift) उत्पन्न हुए।
- प्रायद्वीपीय ब्लॉक का ढलाव:
सम्पूर्ण प्रायद्वीप में उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर झुकाव ने नदियों के प्रवाह को पूर्व की ओर उन्मुख कर दिया।
प्रमुख विशेषताएँ
- परिपक्वता: ये नदियाँ भौगोलिक दृष्टि से परिपक्व हैं और अपेक्षाकृत स्थिर हैं।
- पूर्वाभिमुख प्रवाह: अधिकांश नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं।
- स्थिर मार्ग: ये नदी मार्ग नियत होते हैं और विसर्पण की प्रवृत्ति कम होती है।
- गैर-बारहमासी प्रकृति: ये नदियाँ मानसून पर निर्भर होती हैं और पूरे वर्ष जल प्रवाह नहीं होता।
- भू-वैज्ञानिक विशिष्टता: नर्मदा और ताप्ती जैसी नदियाँ रिफ्ट घाटियों में बहती हैं।
प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली की पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ
महानदी नदी
महानदी नदी छत्तीसगढ़ क्षेत्र से निकलती है। यह ओडिशा से होकर पूर्व की ओर बहती है, पारादीप के पास बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले एक महत्वपूर्ण डेल्टा बनाती है।
उद्गम स्थल
- महानदी का जन्म छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र की ऊँचाई वाली भूमि से होता है।
- इसका स्रोत रायपुर ज़िले के फरसिया गाँव के पास स्थित है, जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 442 मीटर (1,450 फीट) है।
सहायक नदियाँ
बाएँ तट की सहायक नदियाँ:
- सिवनाथ नदी
- स्रोत: पानाबरस पहाड़ी (625 मीटर)
- दिशा: उत्तर-पूर्व
- उपयोग: दुर्ग ज़िले में जलापूर्ति और औद्योगिक उपयोग
- हसदेव नदी
- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और कोरबा ज़िलों से होकर बहती है
- आसपास चट्टानी और वन क्षेत्र पाए जाते हैं
- मांड नदी
- इब नदी
- उत्पत्ति: रायगढ़ ज़िले की पहाड़ियों से
- महानदी में मिलती है
दाएँ तट की सहायक नदियाँ:
- ओंग नदी
- पूर्वी घाट से निकलती है
- कृषि एवं सिंचाई में योगदान करती है
- तेल नदी
- स्रोत: कालाहांडी (ओडिशा)
- संगम: सोनपुर में महानदी से मिलन
- क्षेत्र की सिंचाई और जीवनयापन में सहायक
- जोंक नदी
- खारियार पठार से निकलती है
- छत्तीसगढ़ होकर बहती है और महानदी में मिलती है
महानदी नदी पर बसे प्रमुख शहर
- संबलपुर
- कटक
- पुरी
- रायपुर
- धमतरी
- बिलासपुर
प्रमुख बाँध और परियोजनाएँ
- हीराकुंड बाँध (संबलपुर, ओडिशा)
- भारत का सबसे बड़ा बहुउद्देश्यीय नदी परियोजना
- उद्देश्य: बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, जल आपूर्ति
- गंगरेल बाँध (धमतरी, छत्तीसगढ़)
- दूसरा नाम: आर.एस. सागर बाँध
- कृषि के लिए जल आपूर्ति
- दुधवा बाँध (धमतरी, छत्तीसगढ़)
- महानदी पर निर्मित एक और महत्त्वपूर्ण बाँध
- जल संरक्षण एवं सिंचाई हेतु उपयोगी
गोदावरी नदी
गोदावरी, गंगा के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों से निकलती है और दक्कन के पठार से होते हुए पूर्व की ओर बहती है, अंततः बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।
गोदावरी नदी का उद्गम
- गोदावरी नदी का जन्म महाराष्ट्र के नासिक ज़िले में त्र्यंबकेश्वर के पास पश्चिमी घाट से होता है।
- यह पूर्व की ओर बहती हुई आंध्र प्रदेश में प्रवेश करती है और अंततः राजमुंद्री के पास बंगाल की खाड़ी में एक विशाल डेल्टा बनाकर समाप्त होती है। अपने विशाल बेसिन और ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्त्व के कारण इसे “दक्षिण की गंगा” या “वृद्ध गंगा” कहा जाता है।
प्रवाह मार्ग और बेसिन क्षेत्र
- नदी का कुल मार्ग लगभग 1,465 किमी लंबा है।
- यह महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में फैली हुई है।
- साथ ही, पुडुचेरी के यनम क्षेत्र को भी यह स्पर्श करती है।
प्रमुख विशेषताएँ
- राजमुंद्री गोदावरी के किनारे स्थित सबसे बड़ा शहर है।
- नदी राजमुंद्री के नीचे दो धाराओं में बंटती है:
- गौतमी गोदावरी (पूर्वी शाखा)
- वशिष्ठा गोदावरी (पश्चिमी शाखा)
- गोदावरी नदी का डेल्टा लोबेट प्रकार (lobate) का है, जिसमें गोलाकार प्रवाह और वितरिकाओं का जाल देखा जाता है।
सहायक नदियाँ
बाईं ओर की सहायक नदियाँ:
- धारणा
- पैनगंगा
- स्रोत: अजंता रेंज, औरंगाबाद
- प्रवाह: बुलढाणा, वाशिम, महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा
- वर्धा
- उद्गम: बैतूल (मध्य प्रदेश)
- वैनगंगा से मिलकर बनाती है: प्राणहिता नदी
- वैनगंगा
- स्रोत: सतपुड़ा की महादेव पहाड़ियाँ
- बहाव: नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा आदि ज़िले
- प्राणहिता
- संयुक्त धारा (वर्धा + वैनगंगा + पैनगंगा)
- इंद्रावती
- पूर्व से प्रवाहित प्रमुख नदी
- सबरी, पेंच, कन्हान
दाईं ओर की सहायक नदियाँ:
- प्रवरा
- मूला
- मंजिरा
- उद्गम: अहमदनगर के पास, बालाघाट रेंज
- जिलों से होकर: लातूर (MH), बीदर (KA), मेडक (AP)
- बांध: निजाम सागर (निजामाबाद ज़िले में)
- पेड्डावागु
- मानेर
प्रमुख परियोजनाएँ
- श्रीराम सागर परियोजना
- निर्माण काल: 1964–1969
- सिंचाई लाभार्थी जिले: आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर, वारंगल
- गोदावरी बैराज (राजमुंद्री)
- जायकवाड़ी डैम
- अपर वर्धा परियोजना
- अपर पैनगंगा डैम
- अपर वैनगंगा डैम
- अपर इंद्रावती योजना
कृष्णा नदी

कृष्णा नदी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के पास पश्चिमी घाट से उत्पन्न होती है। यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से होकर पूर्व की ओर बहती है और मछलीपट्टनम के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
सहायक नदियाँ
दाहिनी ओर की सहायक नदियाँ:
- वेन्ना
- कोयना
- स्रोत: महाबलेश्वर
- दिशा: उत्तर-दक्षिण
- प्रसिद्ध कोयना बांध और शिवसागर जलाशय इसी नदी पर हैं।
- पंचगंगा
- पाँच धाराएँ मिलकर बनती है: कासरी, कुंभी, तुलसी, भोगवती, सरला
- कोल्हापुर से होकर बहती है।
- दूधगंगा
- कोल्हापुर में स्थित
- इस पर कल्लम्मावाड़ी बाँध बनाया गया है।
- घाटप्रभा
- पश्चिमी घाट से निकलती है
- गोकक जलप्रपात और घाटप्रभा परियोजना इसी पर आधारित हैं।
- मलप्रभा
- स्रोत: कर्नाटक का कनकुम्बी क्षेत्र (792 मीटर ऊँचाई पर)
- नवलीतीर्थ बाँध और रेणुकासागर जलाशय इसी पर स्थित हैं।
- तुंगभद्रा
- तुंगा और भद्रा नदियों के संगम से बनती है
- गंगमुला, सह्याद्रि इसका स्रोत
- रायचूर दोआब इस नदी और कृष्णा के बीच स्थित है
बाईं ओर की सहायक नदियाँ:
- भीमा नदी
- उद्गम: भीमाशंकर (पश्चिमी घाट)
- बहाव: महाराष्ट्र → कर्नाटक → आंध्र प्रदेश
- डिंडी
- पेद्दावागु
- हलिया
- मुसी नदी
- स्रोत: अनंतगिरी पहाड़ियों, विकाराबाद (तेलंगाना)
- उस्मानसागर, हिमायत सागर, और हुसैन सागर जलाशय इसी नदी पर
- हैदराबाद शहर इस नदी के किनारे बसा है।
- पलेरू
- मुन्नेरू
कृष्णा नदी के किनारे बसे प्रमुख नगर
- महाराष्ट्र: सतारा, कराड, सांगली
- कर्नाटक: बागलकोट, होस्पेट, हरिहर
- आंध्र प्रदेश: श्रीशैलम, अमरावती, विजयवाड़ा
महत्वपूर्ण बाँध
- अलमट्टी बाँध (कर्नाटक)
- श्रीशैलम बाँध (कुरनूल, आंध्र प्रदेश)
- जलाशय: नीलम संजीव रेड्डी सागर
- नागार्जुन सागर बाँध (नलगोंडा-गुंटूर सीमा)
- भारत की शुरुआती बड़ी परियोजनाओं में से एक
- निर्माण प्रारंभ: 1950
- प्रकाशम बैराज (विजयवाड़ा)
- संकल्पना: मेजर कॉटन, ईस्ट इंडिया कंपनी
- सिंचाई और जल आपूर्ति हेतु
- घाटप्रभा परियोजना (कोल्हापुर के पास)
- भीमा परियोजना (सोलापुर ज़िले में)
कावेरी नदी
कावेरी नदी कर्नाटक के पश्चिमी घाट से निकलती है और तमिलनाडु के पार पूर्व की ओर बहती है। यह महत्वपूर्ण सहायक नदियों का निर्माण करती है और अंततः पूम्पुहार के पास बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।
उद्गम
- कावेरी नदी का स्रोत कर्नाटक के कोडागु (कूर्ग) जिले में स्थित ब्रह्मगिरी पर्वत शृंखला के तालकावेरी नामक स्थान पर है।
- यह पश्चिमी घाट से निकलती है और पूर्व की दिशा में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
- शिवसमुद्रम जलप्रपात (101 मीटर ऊँचाई) इसका प्रमुख जलप्रपात है, जहाँ शिवनसमुद्रम विद्युत स्टेशन स्थित है।
- इसके बाद नदी ‘मेकेदातु’ (बकरी की छलांग) घाटी से गुजरती है और तमिलनाडु में होगेनक्कल जलप्रपात बनाती है।
- नदी श्रीरंगम द्वीप बनाती है, जहाँ दो धाराएँ पुनः मिलती हैं।
सहायक नदियाँ
बाईं ओर की सहायक नदियाँ:
- हरंगी नदी
- हेमावती नदी
- स्रोत: बल्लालरायन दुर्ग, चिकमंगलूर
- मिलन स्थल: कृष्णराजसागर बाँध के पास
- शिम्शा नदी
- अर्कावती नदी
दाईं ओर की सहायक नदियाँ:
- लक्ष्मणतीर्थ
- काबिनी नदी
- स्रोत: केरल के वायनाड में पाकरामथलम पहाड़ियों से
- दो धाराओं (पनमराम और मनंथावाड़ी) के संगम से बनती है
- काबिनी जलाशय जैव विविधता का केंद्र है
- सुवर्णवती
- भवानी नदी
- मिलन स्थल: मेट्टूर बाँध के नीचे, दाहिने तट से
- नोय्यल नदी
- स्रोत: वेल्लिंगिरी पर्वत, पश्चिमी घाट
- संगम स्थल: एरोड ज़िले के कोडुमुदी में
- अमरावती नदी
- स्रोत: अन्नामलाई-पलानी पर्वतों की मंजमपट्टी घाटी
- उपयोग: अमरावती डैम और जलाशय, लेकिन प्रदूषण एक चुनौती
प्रमुख बाँध और परियोजनाएँ
- कृष्णराज सागर बाँध (कर्नाटक)
- मेट्टूर बाँध (तमिलनाडु)
- कावेरी डेल्टा प्रणाली
- लोअर भवानी परियोजना
- हेमावती परियोजना
- हरंगी और काबिनी बाँध
पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ (अरब सागर की ओर)
- यद्यपि अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियाँ बंगाल की खाड़ी की ओर बहती हैं, कुछ अपवाद नर्मदा और ताप्ती हैं, जो रिफ्ट घाटियों से होकर बहती हैं।
नर्मदा नदी
- अमरकंटक, मध्य प्रदेश – उदगम
- रिफ्ट घाटी में बहती है
- पश्चिम की ओर प्रवाहित होकर अरब सागर में मिलती है
- प्रवाह: विंध्य और सतपुड़ा पर्वतों के बीच (मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात)
- सहायक नदी - हैलोन, हेरान, बंजार, बुरहनेर, हालोन, हेरान, दूधी, शक्कर, तवा, बरना, कोलार, गंजाल, बेदा, गोई और ओरसांग।
🔹 ताप्ती नदी
- पश्चिम की ओर चलते हुए अरब सागर से मिलती है
- उदगम - सतपुड़ा पर्वतमाला, मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र, तथा मध्य प्रदेश और गुजरात का एक छोटा सा क्षेत्र।
- सहायक नदी - पूर्णा, गिरना और पंझरा नदियाँ
🔹 अन्य नदियाँ:
- साबरमती, माही, लूनी
- साथ ही पश्चिमी घाट से निकलने वाली अनेक छोटी-छोटी धाराएँ